Friday, June 8, 2012

गित:मन रहे पो

गित:मन रहे पो 
स्वर:यम बराल 

मन रहे पो माया प्रिती
हासी खेल हिरा मोति
मनै मरे के को तिर्सिना
हो मनै मरे के को तिर्सना
मन फुले पो हरियाली 
पोहोर साल येसपाली
मनै झरे के को तिर्सना
हो मनै झरे के को तिर्सना 
मन रहे पो माया प्रिती

(जति बाधी राखे पनि 
मुहान सरि फुडदो रहेछ मन)२
(गंगा जति बगे पनि)२
आफै भित्र सुक्दो रहेछ मन
जति सिखर टेके पनि
उल्का सरि खस्दो रहेछ मन
(जित्न सबलाई जिते पनि)
आफै संग हार्दो रहेछ मन
मन रहे पो माया प्रिती

आफ्नै आगन पुरी दिन 
मझेरी त कसले खंथियो र
(एती सुन्दर कोमल मनलाई)२
कसले तेसै भाचौ भंथियो र
बुझ्नु पर्ने कुरो एउटै
साचो माया हराउदैन
(अर्काको मन भाची)२
आफ्नै मनत पलाउदैन 
मन रहे पो माया प्रिती
हासी खेल हिरा मोति
मनै मरे के को तिर्सिना
हो मनै मरे के को तिर्सना
मन रहे पो माया प्रिती
हो हो हो हो हो हो हो हो|||

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